आज अरविन्द केजरीवाल का इंटरव्यू देखा। उसकी बात मन के अंदर तक चोट पहुँचाती है। अच्छा लगता है कि कोई आदमी वाकई मै देश के आम आदमी के बारे मै सोच रहा है। कल शायद अरविन्द के साथ कुछ स्वार्थी लोग भी जुड़ जाए, पर वो लोग अरविन्द की सोच को नहीं तोड़ पाएंगे। जितनी सफाई से वो अपनी बात कह रहा था, मैने आजतक किसी आदमी को इतना बेबाक बोलते हुऐ नहीं सुना। नरेंद्र मोदी को भी नहीं। वो बिलकुल निडरता के साथ बोल रहा था , एक अराजनैतिक भाषा मॅ , जो हर आम आदमी कि भाषा है। मै यह ब्लॉग लिख रहा हु तो गैस के दाम २००-२५० रूपया तक बढ़ चूका है और मेरी तरह हर मिडिल क्लास आदमी इसके बारे मे सोच रहा है। पर मुझे नहीं लगता कि जो लोग ५ रूपए -१२ रूपए मे पेट भर खाने कि बात करते है उन पर कोई फर्क पड़ता है। भारत एक कृषि प्रधान देश है यह सुनने मे तो अच्छा लगता है पर किसानो के लिए कोई ठोस नीति कोई नहीं बनाता चाहे वो बीजेपी हो या कांग्रेस या कोई और पार्टी। हम लोगो को धर्म के नाम पर लड़वाया जाता है। ताकि हम अपनी मूल समसयाओं से भर्मित हो। आज देश मे कांग्रेस कि सरकार है और उसने गरीबो के लिए कई योजनाये चलायी है जो सिर्फ कागजो मे ही चल रही है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां कॉर्पोरेट घरानो के हाथो कि कठपुतलियां है। टाटा, बिरला,अम्बानी के हाथो मे देश की डोर है। जो अब नहीं चलने वाला। वुड -टच आम आदमी पार्टी आम आदमी कि ही बनी रहे और इन कॉर्पोरेट घरानो कि चाल-बाज़ी से बचे।
I,me & myself
ITs all about me. What i think, what i feel,how i react in different situations means my angle to see this world.
Wednesday, January 1, 2014
Sunday, December 15, 2013
Sunday, February 19, 2012
चार लोग
मैं उन चार लोगों को एक मुद्दत से ढूँढ रहा हूँ, जिनको मेरी पर्सनल लाइफ में इतना इंटरेस्ट है कि घरवाले हमेशा बोलते हैं -
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`चार लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे!
Saturday, January 28, 2012
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